दिल शीशे सा

दिल शीशे सा

दिल शीशे सा काहे बनाए
टूट गया तो क्यों घबराए
किसने बोला दिल लगा लो
बिना बात का पंगा पालो।

इश्क मोहब्बत बुरी बला है
जिसने किया है वही जला है
देखो तुम अपने जीवन में
जानते बूझते ये रोग ना पालो।

आशिक तो होते हैं पागल
या यूं कहो आवारा बादल
फटेहाल हो जाता बंदा
जिसने पहना इश्क का फंदा।

जीना मरना एक समान
महबूबा पे होता कुर्बान
देख के उसको ही जीता है
जिसपर उसकी निकले जान।

इश्क मुक्कमल जब हो जाता
आशिक फिर शौहर कहलाता
इश्क अगर नाकाम हो जाए
आशिक फिर शायर बन जाए।।

आभार – नवीन पहल – १४.०९.२०२३ 😁😁

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता 



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5 Comments

Abhinav ji

16-Sep-2023 07:33 AM

Nice

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Varsha_Upadhyay

15-Sep-2023 04:15 PM

Nice 👍🏼

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सुन्दर सृजन

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